सबसे पहले तो ये बता दू की
आदिवासी कोइ जाति या कोइ घर्म नहि है_ आदिवासी उन जातियों का समूह है जो भारत में अनादि काल से वास कर रहे है_ जैसे की मुंडा, हो, गरासिया, भील, भिलाला इत्यादि आदिमजाति के समूह को "आदिवासी" कहाँ जाता है_
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आदिवासी क्याहै
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आदिवासी शब्द आदि+ वासी दो शब्दो का बना है जिसका अर्थ अनादि काल से + भौगोलिक स्थान पे वास करनेवाला व्यक्ति, समूदाय= मूलवासी/ आदिवासी
एसा होता है_
आज आदिवासीयों के कही नाम है जो लोगोनें अपने राजनैतिक फायदो के लिये दिये है जैसे की वनवासी, वनबंघु, जंगली, मूलनिवासी, गिरीजन, बर्बर, एबोरिजनल, जनजाति है_
आदिवासीयों का संविघानिक नाम "अनुसुचित जनजाति (Schedule Tribe) ST" है_
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आज हम आदिवासी का प्रतिबिंबित दश्य चोर, लूटेरा, अघनंगा मनुष्य की तरह लेते है क्योकि TV_मिडीया_ चेनलो और फिल्मो मे हमे एसे ही दर्शाया जाता है_
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आदिवासी कौन है??
आज कुछ लोग अपने आदिवासी होने की पहेचान छुपाते है और वो "कुछ" लोग शहर मे पढाइ एवं नोकरी कर रहे व्यक्ति है_ क्योकि उनकी मानसिकता में आदिवासी चोर_ लूंटेरा_ अघनंगा अँघश्रद्दा में माननेंवाला इंसान होता है_
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सहि मे आदिवासी "कुदरती इंसान" है जिसका महत्व युनो (UNO) ने दिया है_ क्योकि आदिवासी "प्रकृति रक्षक" है और L.R.R. 1972 की P.No. 419 में आदिवासीयो का उल्लेख "नेचरल कोम्युनिटी" के नाम से किया गया है_
हमें गर्व होना चाहिये की हम आदिवासी है_
हम भारत के आदिवासी भारत देश के मालिक है_
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आदिवासी का उल्लेख रामायण_महाभारत, बाइबल, कुरान में भी है अत: ये दस्तावेजी साबित भी हो गया है की आदिवासी A/C Ante Christ (इसु ख्रिस्त) पहले का Nonjudicial "कुदरती समूदाय" है_
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आज भारत में तकरिंबन १४-१५ करोंड आदिवासी है_
जो अलग-अलग भौगोलिक स्थान में अपनी अलग-अलग रित-रिवाज, व्यवहार, बोली(भाषा-नोघ:आदिवासीयो की कोइ लिपी नहि है) संस्कृति के साथ जी रहे है_
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आदिवासी घर्मपूर्वी है
आदिवासी ए/सी Ante Christ है
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आदिवासीयों का इतिहास में अतिमहत्वपूर्ण भाग रहा है_
और
आदिवासीयों की गणना एक "कुदरती" "सच्चे" "व्यवहारिक" और "लड़ायक" कोंम में होती है_
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हमें गर्व है की हम आदिवासी है_
कुछ लोग शर्माते है है खुद को आदिवासी कहनें से,
और शर्मानेंवालें ज्यादातर लोग वो है जो आरक्षण का फायदा लेकर शहरो में सरकारी पदो पें फर्ज बजा रहे है और जो आदिवासी युवा पढाइ कें लियें शहरो में गयें है,
वो खुद को “आदिवासी” कहनें मे शर्माते है क्योकि वो दूसरी संस्कृति को “आदिवासी सभ्यता” सें बड़ा मानते है
और
आदिवासी को अघनंगा,चोर-लूटेरा, जंगली होने की कल्पना करते है,
–
जबतक हमारें लोग अपनी आदिवासी सस्कृति,व्यवहार और सभ्यता को नहि जानेंगे तबतक वो खुद को आदिवासी कहनें सें शर्मायेंगे।
–
आदिवासी संस्कृति, सभ्यता और व्यवहार सभी घर्मो सें बढ़कर है
पहले खुद को समजो बाद में अपनें आदिवासी होने पे गर्व करो,
जबतक आप आदिवासी क्या है यें समजोगें ही नहि तबतक आप अपनें आप पें “गर्व” नहि कर सकोगे
क्योकी आपकी नजर में आदिवासी अर्थ जैसे फिलमो में दिखाते है वैसा हिप-हिप-हुर्रे, झींगालाला हो हो, झींगालाला हो हो, अघनंगे, चोर-लूटेरे, जंगली, इँसान को खानेवाला ही है,
–
में खुदको आदिवासी होने पे गर्व करता हु क्योकि…..
१>हम इस देश के मालिक है और सदियों सें इस देश में निवास करते है,
आदिवासी का अर्थ ही कीसी भौगोलिक स्थान पें अनादि काल सें निवास करना है और में वो आदिवासी हु जो भारत में सदियों से रह रहा हु,भारत देश का मालिक हु
२>UNO नें कीसी घर्म या जाति विषेश को छोड कें सिर्फ आदिवासीयों के विकास एवं रक्षा कें लियें ९ अगस्त(9 Auguest) “विश्व आदिवासी दिवस(World Aboriginal Day)” जाहिर किया है
३>आदिवासी समाज में स्त्री(महिला) की इज्जत की जाती है,और उसें पुरुष कें बराबर का हक दिया जाता है
४>आदिवासी व्यवहार प्रेम का व्यवहार है, यहाँ कीसी कें खानें-पीनें, दूघ आदि कुदरती संपत्ति के पैसे(Charge) नहि है
५>क्षत्रिय अगर खुद कें राज- रज़वाडो पें गर्व करतें है तो इसकी वज़ह सिर्फ और सिर्फ आदिवासी है,
अगर आदिवासी जंगलों में मुघल एवं दूसरें दूश्मनो के हमलें का जवाब नहि देता तो आज क्षत्रियो का नामोनिशान नहि होता,
और
आज भी गुजरात और राजस्थान के राष्ट्रचिन्ह में एक और क्षत्रिय तो दूसरी ओर भील है,
६>आदिवासीनें आजतक कीसी की गुलामी नहि की और वो जितना सहनशील होता है उतना ही खुंखाऱ होता है,
७>आदिवासी रित-रिवाज एक दूसरें की सहायता के लियें बने हुवें है
और कभी कीसी आदिवासी कें माता-पिता कीसी वृद्दाश्रम में नहि दिखेंगे
क्योकी आदिवासीयों के लियें माता-पिता सर्जनहार है।
मुझे गर्व है की में आदिवासी हु
८>एकलव्य जैसा वीर स्वयंगुरु आदिवासी है_
९>हमें गर्व है की बिरसा दादा, टांट्या मामा जैसे क्रांतिकारी आदिवासी है_
हमे गर्व है की राणा प्रताप के राज़पाट को वापिस दिलानेवाला वीर राणा पुंजा भील आदिवासी है_
१०>हमें गर्व है की गुलामबाबा, गोविंद गरु जैसे संत आदिवासी है_
११>हमें गर्व है की आदिवासी एसी भारत सरकार/India है_
||हमें गर्व है की हम आदिवासी है||
||आपकी जय||
||स्वकर्तापितुकी जय||
||सर्जनहार की जय||
||जय जोहार||
||जय आदिवासी||
||जय एकलव्य||
👏🏻SUNIL VERMA👏🏻츏ࠐ閉7࣋
आदिवासी कोइ जाति या कोइ घर्म नहि है_ आदिवासी उन जातियों का समूह है जो भारत में अनादि काल से वास कर रहे है_ जैसे की मुंडा, हो, गरासिया, भील, भिलाला इत्यादि आदिमजाति के समूह को "आदिवासी" कहाँ जाता है_
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आदिवासी क्याहै
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आदिवासी शब्द आदि+ वासी दो शब्दो का बना है जिसका अर्थ अनादि काल से + भौगोलिक स्थान पे वास करनेवाला व्यक्ति, समूदाय= मूलवासी/ आदिवासी
एसा होता है_
आज आदिवासीयों के कही नाम है जो लोगोनें अपने राजनैतिक फायदो के लिये दिये है जैसे की वनवासी, वनबंघु, जंगली, मूलनिवासी, गिरीजन, बर्बर, एबोरिजनल, जनजाति है_
आदिवासीयों का संविघानिक नाम "अनुसुचित जनजाति (Schedule Tribe) ST" है_
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आज हम आदिवासी का प्रतिबिंबित दश्य चोर, लूटेरा, अघनंगा मनुष्य की तरह लेते है क्योकि TV_मिडीया_ चेनलो और फिल्मो मे हमे एसे ही दर्शाया जाता है_
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आदिवासी कौन है??
आज कुछ लोग अपने आदिवासी होने की पहेचान छुपाते है और वो "कुछ" लोग शहर मे पढाइ एवं नोकरी कर रहे व्यक्ति है_ क्योकि उनकी मानसिकता में आदिवासी चोर_ लूंटेरा_ अघनंगा अँघश्रद्दा में माननेंवाला इंसान होता है_
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सहि मे आदिवासी "कुदरती इंसान" है जिसका महत्व युनो (UNO) ने दिया है_ क्योकि आदिवासी "प्रकृति रक्षक" है और L.R.R. 1972 की P.No. 419 में आदिवासीयो का उल्लेख "नेचरल कोम्युनिटी" के नाम से किया गया है_
हमें गर्व होना चाहिये की हम आदिवासी है_
हम भारत के आदिवासी भारत देश के मालिक है_
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आदिवासी का उल्लेख रामायण_महाभारत, बाइबल, कुरान में भी है अत: ये दस्तावेजी साबित भी हो गया है की आदिवासी A/C Ante Christ (इसु ख्रिस्त) पहले का Nonjudicial "कुदरती समूदाय" है_
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आज भारत में तकरिंबन १४-१५ करोंड आदिवासी है_
जो अलग-अलग भौगोलिक स्थान में अपनी अलग-अलग रित-रिवाज, व्यवहार, बोली(भाषा-नोघ:आदिवासीयो की कोइ लिपी नहि है) संस्कृति के साथ जी रहे है_
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आदिवासी घर्मपूर्वी है
आदिवासी ए/सी Ante Christ है
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आदिवासीयों का इतिहास में अतिमहत्वपूर्ण भाग रहा है_
और
आदिवासीयों की गणना एक "कुदरती" "सच्चे" "व्यवहारिक" और "लड़ायक" कोंम में होती है_
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हमें गर्व है की हम आदिवासी है_
कुछ लोग शर्माते है है खुद को आदिवासी कहनें से,
और शर्मानेंवालें ज्यादातर लोग वो है जो आरक्षण का फायदा लेकर शहरो में सरकारी पदो पें फर्ज बजा रहे है और जो आदिवासी युवा पढाइ कें लियें शहरो में गयें है,
वो खुद को “आदिवासी” कहनें मे शर्माते है क्योकि वो दूसरी संस्कृति को “आदिवासी सभ्यता” सें बड़ा मानते है
और
आदिवासी को अघनंगा,चोर-लूटेरा, जंगली होने की कल्पना करते है,
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जबतक हमारें लोग अपनी आदिवासी सस्कृति,व्यवहार और सभ्यता को नहि जानेंगे तबतक वो खुद को आदिवासी कहनें सें शर्मायेंगे।
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आदिवासी संस्कृति, सभ्यता और व्यवहार सभी घर्मो सें बढ़कर है
पहले खुद को समजो बाद में अपनें आदिवासी होने पे गर्व करो,
जबतक आप आदिवासी क्या है यें समजोगें ही नहि तबतक आप अपनें आप पें “गर्व” नहि कर सकोगे
क्योकी आपकी नजर में आदिवासी अर्थ जैसे फिलमो में दिखाते है वैसा हिप-हिप-हुर्रे, झींगालाला हो हो, झींगालाला हो हो, अघनंगे, चोर-लूटेरे, जंगली, इँसान को खानेवाला ही है,
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में खुदको आदिवासी होने पे गर्व करता हु क्योकि…..
१>हम इस देश के मालिक है और सदियों सें इस देश में निवास करते है,
आदिवासी का अर्थ ही कीसी भौगोलिक स्थान पें अनादि काल सें निवास करना है और में वो आदिवासी हु जो भारत में सदियों से रह रहा हु,भारत देश का मालिक हु
२>UNO नें कीसी घर्म या जाति विषेश को छोड कें सिर्फ आदिवासीयों के विकास एवं रक्षा कें लियें ९ अगस्त(9 Auguest) “विश्व आदिवासी दिवस(World Aboriginal Day)” जाहिर किया है
३>आदिवासी समाज में स्त्री(महिला) की इज्जत की जाती है,और उसें पुरुष कें बराबर का हक दिया जाता है
४>आदिवासी व्यवहार प्रेम का व्यवहार है, यहाँ कीसी कें खानें-पीनें, दूघ आदि कुदरती संपत्ति के पैसे(Charge) नहि है
५>क्षत्रिय अगर खुद कें राज- रज़वाडो पें गर्व करतें है तो इसकी वज़ह सिर्फ और सिर्फ आदिवासी है,
अगर आदिवासी जंगलों में मुघल एवं दूसरें दूश्मनो के हमलें का जवाब नहि देता तो आज क्षत्रियो का नामोनिशान नहि होता,
और
आज भी गुजरात और राजस्थान के राष्ट्रचिन्ह में एक और क्षत्रिय तो दूसरी ओर भील है,
६>आदिवासीनें आजतक कीसी की गुलामी नहि की और वो जितना सहनशील होता है उतना ही खुंखाऱ होता है,
७>आदिवासी रित-रिवाज एक दूसरें की सहायता के लियें बने हुवें है
और कभी कीसी आदिवासी कें माता-पिता कीसी वृद्दाश्रम में नहि दिखेंगे
क्योकी आदिवासीयों के लियें माता-पिता सर्जनहार है।
मुझे गर्व है की में आदिवासी हु
८>एकलव्य जैसा वीर स्वयंगुरु आदिवासी है_
९>हमें गर्व है की बिरसा दादा, टांट्या मामा जैसे क्रांतिकारी आदिवासी है_
हमे गर्व है की राणा प्रताप के राज़पाट को वापिस दिलानेवाला वीर राणा पुंजा भील आदिवासी है_
१०>हमें गर्व है की गुलामबाबा, गोविंद गरु जैसे संत आदिवासी है_
११>हमें गर्व है की आदिवासी एसी भारत सरकार/India है_
||हमें गर्व है की हम आदिवासी है||
||आपकी जय||
||स्वकर्तापितुकी जय||
||सर्जनहार की जय||
||जय जोहार||
||जय आदिवासी||
||जय एकलव्य||
👏🏻SUNIL VERMA👏🏻츏ࠐ閉7࣋
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Reviewed by Babulal Kol
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