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कोल पीपल

कोल समुदाय आमने-सामने घर बनाकर टोले में रहना पसंद करते हैं, जिसे कोल्हिन टोला कहा जाता है। यदि पूरा गाँव कोलों का ही है तब, उसे कोल्हान कहा जाता है। कोल मडि़या या घर की दीवारें मिट्टी में पैरा मिलाकर बनाई जाती हैं। बाँस-बल्ली को बाँधने के लिये बकोहड़ा पेड़ की छाल से बनाई गई रस्सी का प्रयोग किया जाता है। अन्य आदिवासी समुदायों की तरह कोलों के लिये भी मवेशी घर के सदस्य के समान ही होते हैं और इसीलिये घर के चार कमरों में से एक मवेशियों के लिये होता है।
कोल पीपल कोल पीपल Reviewed by दुनिया मनोवैज्ञानिक on 20:00 Rating: 5

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