मुझे लगता है अब मुजे "चुडियाँ" बेचने का घंघा चालु करना चाहिये_
बहोत चलेगा_
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आदिवासी की १२०० करो़ड की ग्रांट गायब हो गइ_
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आरक्षण का विरोघ खुल्लेआम हो रहा है_
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आदिवासी को खुल्लेआम फिल्मो में शैतान बताया जाता है_
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दिपसिंह राठोड की हत्या हे गइ_
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१२१ गाँव को ECO SENSITIVE ZONE के नाम पे खाली करवाने का आदेश_
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यहाँ तक की आदिवासी का कोइ अस्तित्व नहि रहने दिया
और हाइकोर्ट ने कह दिया के देश मे कोइ आदिवासी ही नहि है सब अनुसुचित जनजाति है_
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और ये सब न्युज हमारे लोग एसी मेॉ बैठ के चाये पीते पीते पढ रहे है और बोलते है की "कुछ करना चाहिये"
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अरे ------ , तुमसे कुछ नहि होगा_
तुम्हे सिर्फ समाज के नाम पे घंघा चलाना है और बिना समाजसेवा कीये अपना नाम बनाना है और जो समाजसेवा के लिये आगे आ रहे है उनकी टाँग खिंचनी ही आती है_
-
मर जाओगे एक दिन कुत्ते की तरह कोइ भाव नहि पुछेगा तुम्हे_
बहेतर है "कुछ ना करने से" "चुडियाँ" पहने लो_
-
एरकंडिशन गाडी मे बैठ के समाजसेवा नहि की जाती_
-
और हमारे नेता जो समाक के रक्षक नहि बल्कि पार्टि के गुलाम बन के बैठे है_
तुमसे अच्छे तो ये पाटिदार के नेता है जो भाजपा-कोंन्ग्रे
स छो़ड के एक हो गये और तुम (आदिवासी नेता) हो की अपनी दाल गलवाने में ही रहे हो_
-
मेरा आइडिया कोइ बूरा नहि है_
पुरा समाज भूखमरी से मरा जा रहा है_
आज के हालत में
संविघान की "एसी की तेसी" है
नियम कितने है योजनाये कितनी है
अनुसुची ५&६ क्या है
पेसा एक्ट क्या है
पंचायती राज क्या है
ये पता नहि और संगठन खोल के प्रमुख बने बैठे है_
आदिवासी के नाम पे संगठन है और पता नहि "आदिवासी" क्या है?
और यहाँ तक की कुछ संगठनो नें तो "आदिवासी" शब्द तक नहि रखा_
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एक ही नाम के अलग-अलग एरिया के दो संगठन एक भाजपा की गुलामी कर रहा है तो एक कोंग्रेस की तो कोइ अन्य पक्ष की__!
आदिवासी समाज में पैदा हुवे हो समाज के लिये कुछ करके दिखाओ_
पैसे के पीछे इतना मत भागो
ये भी याद रखो की
"कफन मे कभी जेब नहि होती"
जो भी कमाया है यहिं छोडकर जाना पडे़गा
"मोत कभी रिश्वत नहि लेती"
-
तुम्हे बोलने से कोइ फर्क नहि पडेगा_
तुम सिर्फ सुबह में "चाय पे चर्चा " करने वाले हो_
अरे हा_ चूडियाँ लेनें के लिये मेरा संपर्क करे_
तुम्हारे जैसे "समाजसेवको" को तो मूफ्त मे दूंगा" ...
SUNIL VERMA
बहोत चलेगा_
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आदिवासी की १२०० करो़ड की ग्रांट गायब हो गइ_
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आरक्षण का विरोघ खुल्लेआम हो रहा है_
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आदिवासी को खुल्लेआम फिल्मो में शैतान बताया जाता है_
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दिपसिंह राठोड की हत्या हे गइ_
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१२१ गाँव को ECO SENSITIVE ZONE के नाम पे खाली करवाने का आदेश_
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यहाँ तक की आदिवासी का कोइ अस्तित्व नहि रहने दिया
और हाइकोर्ट ने कह दिया के देश मे कोइ आदिवासी ही नहि है सब अनुसुचित जनजाति है_
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और ये सब न्युज हमारे लोग एसी मेॉ बैठ के चाये पीते पीते पढ रहे है और बोलते है की "कुछ करना चाहिये"
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अरे ------ , तुमसे कुछ नहि होगा_
तुम्हे सिर्फ समाज के नाम पे घंघा चलाना है और बिना समाजसेवा कीये अपना नाम बनाना है और जो समाजसेवा के लिये आगे आ रहे है उनकी टाँग खिंचनी ही आती है_
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मर जाओगे एक दिन कुत्ते की तरह कोइ भाव नहि पुछेगा तुम्हे_
बहेतर है "कुछ ना करने से" "चुडियाँ" पहने लो_
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एरकंडिशन गाडी मे बैठ के समाजसेवा नहि की जाती_
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और हमारे नेता जो समाक के रक्षक नहि बल्कि पार्टि के गुलाम बन के बैठे है_
तुमसे अच्छे तो ये पाटिदार के नेता है जो भाजपा-कोंन्ग्रे
स छो़ड के एक हो गये और तुम (आदिवासी नेता) हो की अपनी दाल गलवाने में ही रहे हो_
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मेरा आइडिया कोइ बूरा नहि है_
पुरा समाज भूखमरी से मरा जा रहा है_
आज के हालत में
संविघान की "एसी की तेसी" है
नियम कितने है योजनाये कितनी है
अनुसुची ५&६ क्या है
पेसा एक्ट क्या है
पंचायती राज क्या है
ये पता नहि और संगठन खोल के प्रमुख बने बैठे है_
आदिवासी के नाम पे संगठन है और पता नहि "आदिवासी" क्या है?
और यहाँ तक की कुछ संगठनो नें तो "आदिवासी" शब्द तक नहि रखा_
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एक ही नाम के अलग-अलग एरिया के दो संगठन एक भाजपा की गुलामी कर रहा है तो एक कोंग्रेस की तो कोइ अन्य पक्ष की__!
आदिवासी समाज में पैदा हुवे हो समाज के लिये कुछ करके दिखाओ_
पैसे के पीछे इतना मत भागो
ये भी याद रखो की
"कफन मे कभी जेब नहि होती"
जो भी कमाया है यहिं छोडकर जाना पडे़गा
"मोत कभी रिश्वत नहि लेती"
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तुम्हे बोलने से कोइ फर्क नहि पडेगा_
तुम सिर्फ सुबह में "चाय पे चर्चा " करने वाले हो_
अरे हा_ चूडियाँ लेनें के लिये मेरा संपर्क करे_
तुम्हारे जैसे "समाजसेवको" को तो मूफ्त मे दूंगा" ...
SUNIL VERMA
मुझे लगता है अब मुजे "चुडियाँ" बेचने का घंघा चालु करना चाहिये
Reviewed by Babulal Kol
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04:34
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