प्राचीन साहित्य असपरस्यो की श्रेणी के लिए अंतंजय ,पंचम , चांडाल इत्यादि का उल्लेख किया गया है |
संविधान के अनुच्छेद 341 में राट्रपति को अधिकार प्राप्त है की वह किसी भी जाति समूह को अनुसूचित घोषित कर सकता है|
संविधान के अनुच्छेद 366 (24) में अनुसूचित जातियो को निम्नवत परिभाषित किया गया है -
अनुसूचित जातियो से ऐसी जातियो ,मूलवंश या जनजातियो अथवा ऐसी जातियों ,मुलवंशो या जनजातिनयो के भाग या उनमे से युथ अभिप्रेत है जिन्हें संबिधान के प्रयोजनों के लिए अनुच्छेद 341 के अधीन अनुसूचित जातियाँ समझा जाता है |
Tribe जनजाति संविधान के अनुच्छेद 366 (25) में परिभाषित किया गया है संविधान के अनुच्छेद 342 में रात्रपति को यह अधिकार प्राप्त है की वह किसी भी जनजाति को अनुसूचित जाति घोषित कर सकता है |
विकास की मुख्य धारा से प्रथक हो जाने के कारण अनुसूचित जाति व् जनजाति का सामाजिक / आर्थिक रूप से शोषण किया जाता रहा है
यह देखते हुए स्वंत्रता के 42 वे वर्ष एवम् भारत गनाराज्य के 40 वे वर्ष में अनुसूचित जाति व जनजातींयो के उत्थान एवम् शोषण को रोकने के लिए
अनुसूचित जाति तथा जनजाति अत्याचार (निवारण अधिनियम) 1989 लागू किया गया जिसके उद्देश्य निम्न है -
1.अनुसूचित जातियों या जनजातियो के सदश्य पर अत्याचार का अपराध करने का निवारण करने के लिए |
2.अत्याचार से संबंधित अपराधों के निवारण के लिए विशेष न्यायालय स्थापित करने के लिए |
3.अपराधों से पीड़ित व्यक्तियों को राहत देने के लिए तथा उससे संबंधित आनुषगिक विषयो का उपबन्ध करने के लिए |
संविधान के अनुच्छेद 341 में राट्रपति को अधिकार प्राप्त है की वह किसी भी जाति समूह को अनुसूचित घोषित कर सकता है|
संविधान के अनुच्छेद 366 (24) में अनुसूचित जातियो को निम्नवत परिभाषित किया गया है -
अनुसूचित जातियो से ऐसी जातियो ,मूलवंश या जनजातियो अथवा ऐसी जातियों ,मुलवंशो या जनजातिनयो के भाग या उनमे से युथ अभिप्रेत है जिन्हें संबिधान के प्रयोजनों के लिए अनुच्छेद 341 के अधीन अनुसूचित जातियाँ समझा जाता है |
Tribe जनजाति संविधान के अनुच्छेद 366 (25) में परिभाषित किया गया है संविधान के अनुच्छेद 342 में रात्रपति को यह अधिकार प्राप्त है की वह किसी भी जनजाति को अनुसूचित जाति घोषित कर सकता है |
विकास की मुख्य धारा से प्रथक हो जाने के कारण अनुसूचित जाति व् जनजाति का सामाजिक / आर्थिक रूप से शोषण किया जाता रहा है
यह देखते हुए स्वंत्रता के 42 वे वर्ष एवम् भारत गनाराज्य के 40 वे वर्ष में अनुसूचित जाति व जनजातींयो के उत्थान एवम् शोषण को रोकने के लिए
अनुसूचित जाति तथा जनजाति अत्याचार (निवारण अधिनियम) 1989 लागू किया गया जिसके उद्देश्य निम्न है -
1.अनुसूचित जातियों या जनजातियो के सदश्य पर अत्याचार का अपराध करने का निवारण करने के लिए |
2.अत्याचार से संबंधित अपराधों के निवारण के लिए विशेष न्यायालय स्थापित करने के लिए |
3.अपराधों से पीड़ित व्यक्तियों को राहत देने के लिए तथा उससे संबंधित आनुषगिक विषयो का उपबन्ध करने के लिए |
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम ,1989
Reviewed by दुनिया मनोवैज्ञानिक
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