Breaking News

banner image

हमसे संपर्क करें

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम ,1993

स्वतन्त्रता के बाद भारत एक कलयाणकारी राज्य के रूप में स्थापित हुआ संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों और निति निर्देशक तत्वों ने मानव के गौरव पूर्ण जीवन की व्यवस्था की लेकिन संविधान की स्पथ व्याख्या नही होने के कारण मानवीय मूल्यों का ह्रास होने लगा ।
अतः ऐसी स्थिति में सम्मान पुर्वक जीवन जीने के लिए सरकार द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 पारित किया गया।

मानव अधिकार की स्थापना का प्रथम दस्तावेज इंग्लैंड का सन 1215 में पारित मैग्नाकाटा को माना जाता है और 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मानव अधिकारो की सर्वभौमिक घोषणा की गयी और यही कारण है की 10 दिसंबर को संपूर्ण विश्व मानव अधिकार दिवस के रूप में मनाता है।

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के मुख्य उद्देश्य निम्न हैँ ।
1.प्रत्येक व्यक्ति को जीवन सुरक्षा एवम् स्वतन्त्रता का अधिकार प्रदान कराना ।
2.विचार , अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का अधिकार प्रदान कराना
3.विधि के समक्ष समानता का अधिकार प्रदान कराना ।
4.बलात् श्रम या बेगार प्रथा को रोकने के साथ साथ अमानवीय व्यवहार को रोकना ।

संक्षेप में मानवाधिकार से व्यक्ति के जीवन स्वतन्त्रता , समानता एवम् गरिमा से संबधित ऐसे अधिकार से अभिप्रेत है जो संविधान द्वारा प्रत्याभूत और अंतररास्ट्रीय प्रसंविदाओ द्वारा सन्निहित है और भारत के न्यायालयो द्वारा प्रवतनिय है।
भारतीय संसद द्वारा 8 जनवरी 1994 से मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 को अधिनियमित किया गया है।

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम ,1993 मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम ,1993 Reviewed by दुनिया मनोवैज्ञानिक on 20:43 Rating: 5

No comments:

नोट: -Before टिप्पणी करते हुए हम आप अनुशंसा हमारे पूछे जाने वाले प्रश्न (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न) पृष्ठ पढ़ने के लिए

Powered by Blogger.