भारतीय संविधान में वर्तमान समय मे 465 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियाँ हैं, जो कि 22 भागों में विभाजित हैं।
इसमे से ही एक है अनुच्छेद 15 (आर्टिकल 15)
अनुच्छेद 15 (आर्टिकल 15 ) ?
संविधान में अनुच्छेद होते हैं, और 15वां अनुच्छेद ही आर्टिकल 15 है। संविधान के आर्टिकल 15 के मुताबिक आप किसी भी व्यक्ति से धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेद-भाव नहीं कर सकते हैं।
राज्य, किसी नागरिक से केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी भी आधार पर किसी तरह का कोई भेद-भाव नहीं करेगा।
किसी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर किसी दुकान, सार्वजनिक भोजनालय, होटल और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों जैसे सिनेमा और थियेटर इत्यादि में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता है।
इसके अलावा सरकारी या अर्ध-सरकारी कुओं, तालाबों, स्नाघाटों, सड़कों और पब्लिक प्लेस के इस्तेमाल से भी किसी को इस आधार पर नहीं रोक सकते हैं।
यह अनुच्छेद किसी भी राज्य को महिलाओं और बच्चों को विशेष सुविधा देने से नहीं रोकेगा।
इसके अलावा यह आर्टिकल किसी भी राज्य को सामाजिक या शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष प्रावधान बनाने से भी नहीं रोकेगा।
अनुच्छेद 15 के अंतर्गत ही अनुच्छेद 15 (4) और 15 (5) में सामाजिक और शैक्षिणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए विशेष उपबंध की व्यवस्था की गई है।
लेकिन शहरों में रहने वाले एक बड़े वर्ग को लगता है कि जात-पात का भेदभाव अब रह नहीं गया है, ये सब गुज़रे जमाने की बात हो गई लेकिन ऐसा नहीं है. देश के बहुत से हिस्सों में खास कर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां शिक्षा का अभाव है, वहां पर अब भी इस तरह का भेदभाव कायम है!
क्या कहता है आर्टिकल 15 (1)
भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मौलिक अधिकार दिए गए हैं। इन अधिकारों का उद्देश्य है कि हर नागरिक सम्मान के साथ अपना जीवन जी सके और किसी के साथ किसी आधार पर भेदभाव न हो। आर्टिकल 15 (1) के मुताबिक राज्य किसी भी नागरिक के साथ जाति, धर्म, लिंग, जन्म स्थान और वंश के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता।
क्या कहता है आर्टिकल 15 (2)
अनुच्छेद 15 के दूसरे क्लॉज के मुताबिक, किसी भी भारतीय नागरिक को जाति, धर्म, लिंग, जन्म स्थान और वंश के आधार पर दुकानों, होटलों, सार्वजानिक भोजनालयों, सार्वजानिक मनोरंजन स्थलों, कुओं, स्नान घाटों, तालाबों, सड़कों, और पब्लिक रिजॉर्ट्स में घुसने से नहीं रोका जा सकता।
क्या कहता है आर्टिकल 15 (3)
वैसे तो देश के सभी नागरिक समान हैं, उनसे भेदभाव नहीं किया जा सकता लेकिन महिलाओं और बच्चों को इस क्लॉज में अपवाद के रूप में देख सकते हैं।आर्टिकल 15 के नियम (3) के मुताबिक, अगर महिलाओं और बच्चों के लिए स्पेशल प्रोविजन बनाए जा रहे हैं तो आर्टिकल 15 ऐसा करने से नहीं रोक सकता। जैसे महिला आरक्षण या बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा।
क्या कहता है आर्टिकल 15 (4)
नियम (4) के मुताबिक राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े, एससी, एसटी, ओबीसी के लिए स्पेशल प्रोविजन बनाने की छूट है। जैसे सीटों का रिजर्वेशन या फीस में छूट वगैरह।
क्या कहता है आर्टिकल 15 (5)
आर्टिकल 15 के नियम (4) को को सपॉर्ट करने वाले नियम (5) के मुताबिक, आर्टिकल 15 का कोई नियम राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े नागरिकों के लिए विशेष प्रावधान बनाने से नहीं रोक सकता। हाल ही में आर्टिकल 15 में नया क्लाज (6) जोड़ा गया है, जिसके मुताबिक, राज्य समय-समय पर आर्थिक रूप से कमजोर सेक्शन की ओर भी ध्यान देगा।
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