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शिक्षा सहायता

शिक्षा सहायता

अनुसूचित जनजाति की लड़कियों/लड़कों हेतु छात्रावास


जनजातीय लड़कियों की शिक्षा हेतु उनको बेहतर आवासीय सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से छात्रावास योजना तीसरी पंचवर्षीय योजना में शुरु की गई थी। इस योजना के तहत निर्माण कार्य हेतु राज्यों को लागत का 50 प्रतिशत तथा संघ राज्य क्षेत्रों को 100 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाती है। 1999-2000 के दौरान राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को 29 तथा 2000-2001 के दौरान 11 लड़कियों के छात्रावास के निर्माण हेतु निधियां निर्मुक्त की गई थीं। लड़कियों हेतु छात्रावास योजना के अनुसार ही लड़कों के लिए छात्रावास योजना 1989-90 में शुरू की गई थी । वर्ष 2000-2001 के दौरान, 15 लड़कों के छात्रावास के निर्माण हेतु निधियां निर्मुक्त की गई थीं।


टीएसपी क्षेत्र में आश्रम विद्यालय


केन्द्र द्वारा प्रायोजित यह योजना 1990-91 में संबंधित राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों को क्रमश: 50 प्रतिशत एवं 100 प्रतिशत आधार पर केंद्रिय सहायता प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। वर्ष 1999-2000 के दौरान 36 आश्रम विद्यालयों के निर्माण हेतु निधियां निर्मुक्त की गई थीं।


लड़कियों के बीच शिक्षा का सुदृढ़ीकरण


कम साक्षरता वाले जिलों में अनुसूचित जनजाति की लड़कियों के बीच शिक्षा का सुदृढ़ीकरण
यह मंत्रालय की जेंडर आधारित योजना है। इस योजना का उद्देश्य पहचाने गए जिलों एवं ब्लॉकों में जनजातीय लड़कियों को 100% नामांकन की सुविधा के माध्यम से, विशेषत: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तथा आदिवासी जनजातीय समूह (पी.टी.जी) की आबादी वाले क्षेत्रों में सामान्य महिला जनसंख्या और जनजातीय महिलाओं के बीच शिक्षा के स्तर के अंतर को समाप्त करना तथा शिक्षा के अपेक्षित के परिवेश के सृजन द्वारा प्रारंभिक स्तर पर शिक्षा छोड़ने की दर को कम करना है। यह योजना इस तथ्य को स्वीकार करती है कि जनजातीय लड़कियों की साक्षरता दर में सुधार आवश्यक है जो उन्हें प्रभावी ढंग से सामाजिक-आर्थिक विकास में भाग लेने हेतु सक्षम बनाएगी।

इस योजना में 12 राज्यों और 1 संघ राज्य क्षेत्र के 54 पहचाने गए जिले शामिल है जहां अनुसूचित जनजाति की आबादी 25% या उससे अधिक है तथा 2001 जनगणना के अनुसार अनुसूचित जनजाति की महिलाओं की साक्षरता दर 35% से या इसके भाग कम है। इसके अतिरिक्त, उपरोक्त 54 जिलों के अलावा, अन्य जिलों में मौजूद जनजातीय ब्लॉक या खंड, जहां कि जनजातीय आबादी 25% या उससे अधिक हो तथा जनजातीय महिलाओं की साक्षरता दर 2001 जनगणना के अनुसार 35% या इसके भाग से कम हो, को भी शामिल है। यह योजना पी.टी.जी क्षेत्रों को भी कवर करती है तथा नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों को भी प्राथमिकता देती है।  यह योजना राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के गैर-सरकारी संगठनों तथा स्वायत्त समितियों द्वारा कार्यान्वित की जाती है।

इस योजना में सर्व शिक्षा अभियान या शिक्षा विभाग की अन्य योजनाओं के अंतर्गत चल रहे विद्यालयों के साथ जुड़े छात्रावासों के संचालन तथा रखरखाव की परिकल्पना की गई है। जहां ऐसे विद्यालय की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, ऐसी स्थिति में इस योजना में आवासीय तथा विद्यालय शिक्षा सुविधा के साथ एक पूर्ण शैक्षिक परिसर स्थापित करने का भी प्रावधान है। अनुसूचित जनजाति की लड़कियों को बढ़ावा देने हेतु इस योजना में शिक्षण, प्रेरणा एवं आवधिक पुरस्कार देने का भी प्रावधान है। यह योजना निर्माण लागत प्रदान नहीं करती है। इसमें तय वित्तीय मानदंडों का प्रावधान है। योजना में 100% नामांकन सुनिश्चित करने, शिक्षा छोड़ने की दर को कम करने, रोगनिरोधी एवं स्वास्थ्य शिक्षा की व्यवस्था करने तथा गैर-सरकारी संगठनों के कार्य निष्पादन की निगरानी आदि जैसे विभिन्न कार्यों हेतु जिला शिक्षा सहायक एजेंसी (डी.ई.एस.ए) जो गैर-सरकारी संगठन या गैर-सरकारी संगठनों का संघ है, की स्थापना की भी परिकल्पना की गई है।

एनजीओ के प्रस्ताव राज्य सरकार के माध्यम से भेजे जाने चाहिएं तथा राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के जनजातीय कल्याण/विकास विभाग के प्रधान सचिव/सचिव की अध्यक्षता में गठित "स्वैच्छिक प्रयासों के समर्थन हेतु राज्य समिति" की सिफारिश अनिवार्य है। राज्य समिति की सिफारिशें केवल उस वित्तीय वर्ष के लिए वैध हैं।


जनजाति समुदायों को उनके लघु वनोपज और लघु वन उत्पाद के लिए विपणन सहायता और लाभकारी मूल्य प्रदान करने औऱ उन्हें शोषक निजी व्यापारियों एवं बिचौलियों से बचाने के मुख्य उद्देश्य लिए भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लि. (ट्राइफेड) की स्थापना 1987 में भारत सरकार द्वारा की गई। बहुराज्य सहकारी समिति अधिनियम,1984 के अंतर्गत कार्यरत यह एक राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च सहकारी संस्था है। इसकी प्राधिकृत शेयर पूंजी 100 करोड़ रुपये है और प्रदत्त पूंजी 99.98 करोड़ रुपये है। जिसमें भारत सरकार का योगदान 99.75 करोड़ रूपये औऱ बाकी 0.23 करोड़ रूपये का योगदान अन्य शेयरधारकों का है।


अनुसूचित जनजाति के छात्रों हेतु मेट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति


इस योजना का उद्देश्य मान्यता प्राप्त संस्थानों से मान्य मैट्रिकोत्तर पाठ्यक्रम कर रहे अनुसूचित जनजाति के छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना में व्यावसायिक, गैर-व्यवसायिक, तकनीकी, गैर-तकनीकी पाठ्यक्रमों तथा दूरस्थ एंव सतत शिक्षा पत्राचार पाठयक्रम भी शामिल है, यह योजना राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों द्वारा कार्यान्वित की जाती है जो प्रतिबद्धदेयता के अलावा 100 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता प्राप्त करते हैं जिसे इन्हें अपने बजटीय प्रावधानों से पूरा करना होता है। प्रतिबद्धदेयता योजना अवधि के अंतिम वर्ष में व्यय के बराबर होती है।

तदनुसार, दसवीं योजना अवधि अर्थात 2006-2007 के अंतिम वर्ष में किया गया व्यय, राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए प्रतिबद्धदेयता बन जाता है जिसे 11वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के प्रत्येक वर्ष में स्वयं वहन करना आवश्यक है। पूर्वोत्तर राज्य हेतु वर्ष 1997-98 से प्रतिबद्ध देयता की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। यह योजना 1944-45 से चलाई जा रही है। 

मौजूदा छात्रवृत्ति मूल्य में रखरखाव भत्ता, दृष्टिहीन छात्रों का पाठक प्रभार, अध्ययन दौरे का शुल्क, शोध-प्रबंध की टाइपिंग/मुद्रण शुल्क, पत्राचार पाठ्यक्रम के छात्रों हेतु पुस्तक भत्ता तथा शैक्षिक संस्थाओं द्वारा अनिवार्य अप्रतिदेय शुल्क प्रभार शामिल है। छात्रावास में रहने वाले छात्रों हेतु पाठ्यक्रमों के अनुसार प्रति माह रखरखाव भत्ता 235 से 740 रूपये, तथा दिवा छात्रों हेतु 140 से 330 रूपये प्रति माह है। योजना के अंतर्गत 1-4-2007 से दोनों छात्रवृत्तियों में माता-पिता/संरक्षकों की निर्धारित वार्षिक आय की उच्चतम सीमा, 1,08,000 है। आय की उच्चतम सीमा को औद्योगिक श्रमिकों हेतु उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ जोड़ दिया गया है।


अनुसूचित जनजाति के छात्रों की प्रतिभा उन्नयन


इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जनजाति के IX से XII तक के छात्रों को विशेष तथा सुधारात्मक प्रशिक्षण देकर इनकी प्रतिभा का उन्नयन करना है। सुधारात्मक प्रशिक्षण का प्रयोजन विभिन्न विषयों में कमियों को दूर करना है जबकि विशेष प्रशिक्षणों में इंजीनियरिंग तथा चिकित्सा विषयों जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्राप्त करने हेतु प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रों को तैयार करना शामिल है। यह योजना राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को 100% केंद्रीय सहायता प्रदान करती है। प्रति छात्र प्रति वर्ष 15,000 रूपये का अनुदान उपलब्ध कराया जाता है तथा राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों को कोई भी वित्तीय बोझ का वहन करने की आवश्यकता नहीं होती है। छात्रवृत्ति की राशि के अलावा, विकलांग छात्र निम्नलिखित सहायता के भी पात्र हैं:


IX से XII तक के दृष्टिहीन छात्रों हेतु प्रति माह 100 रू का पाठक भत्ता।


शैक्षिक संस्थान के परिसर के भीतर छात्रावास में न रहने वाले विकलांग छात्रों को प्रति माह 50 रूपये का परिवहन भत्ता। कथित अधिनियम के अनुसार पारिभाषित कि गई विकलांगता जैसे- दृष्टिहीनता, कम दृष्टि, उपचारित-कुष्ठरोग, श्रवण दुर्बलता, लोकमोटर विकलांगता, मानसिक मंदता तथा मानसिक बीमारी।


राज्य/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन या शैक्षणिक द्वारा प्रबंधित छात्रावास के किसी भी कर्मचारी को प्रति माह 100 रूपये की विशेष वेतन ग्राह्य है जो छात्रावास में रहने वाले गंभीर रूप से विकलांग छात्र की इच्छा से मदद करने को तैयार हो, या उस छात्र को एक सहायक की सहायता की जरूरत हो।गंभीर विकलांगता वाले दिवाछात्र हेतु प्रति माह 50 रूपये का अनुरक्षक भत्ता।


कक्षा IX से XII तक के मानसिक रूप से अविकसित तथा मानसिक रूप से बीमार छात्रों को अतिरिक्त कोचिंग हेतु प्रति माह 100 रूपये भत्ता।


ऊपर दिए गए (क) से लेकर (ड़) तक के प्रावधान उपचारित कुष्ठरोगी छात्रों पर भी लागू हैं।


अनुसूचित जनजाति की लड़कियों हेतु छात्रावास


तीसरी योजना से आरंभ की गई लड़कियों हेतु छात्रावास योजना, उन अनुसूचित जनजाति की लड़कियों के बीच शिक्षा के प्रचार हेतु बहुत उपयोगी है जिनकी साक्षरता दर 2011 जनगणना आँकड़ों के अनुसार सामान्य महिलाओं की 54.28% साक्षर दर की तुलना में 34.76 है। योजना के तहत,राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों को केंद्र द्वारा नए छात्रावास का निर्माण करने तथा मौजूदा छात्रावास का विस्तार करने हेतु केन्द्रीय सहायता दी जाती है, इस योजना में छात्रावास के निर्माण की लागत को 50:50 अनुपात में समान रूप से केन्द्र तथा राज्यों के बीच साझा किया जाता है। किंतु संघ राज्य क्षेत्र मामले में, केन्द्र सरकार निर्माण की पूरी लागत वहन कराती है। छात्रावास के निर्माण की लागत राज्य पीडब्ल्यूडी की दरों या स्थानीय सीपीडब्ल्यूडी की दरों, इनमें से जो भी कम हो,पर आधारित होती है। तथा छात्रावास के रखरखाव संबंधित जिम्मेदारी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की होती है। छात्रावास में सीटों की संख्या 100 तक है । छात्रावास अनुसूचित जनजाति की लड़कियों के लिए प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक, महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय तक की शिक्षा हेतु उपलब्ध हैं।


अनुसूचित जनजाति के लड़कों हेतु छात्रावास


लड़कों हेतु छात्रावास योजना का उद्देश्य, नियम एवं शर्तें तथा सहायता की पद्धति सभी लड़कियों हेतु छात्रावास योजना के समान ही है। यह योजना 1989-90 से चलाई जा रही है। दसवीं योजना में लड़कों की छात्रावास योजना को लड़कियों की छात्रावास योजना के साथ मिला दिया गया था।


राजीव गांधी राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति योजना (आरजीएनएफ)


यह योजना 2005-06 में आरंभ की गई थी, इस योजना के तहत, एम.फिल एवं पी.एच.डी कर रहे छात्रों को अध्येतावृत्ति प्रदान की जाती है। अध्येतावृत्ति की अधिकतम अवधि 5 साल है। हर साल अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए 667 अध्येतावृत्तियां प्रदान की जाती हैं। यह योजना जनजातीय मंत्रालय की तरफ से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा कार्यान्वित किया जा रही है। कोई भी अनुसूचित जनजाति का छात्र जिसने अपनी स्नातक यूजीसी स्वीकृत विश्वविद्यालय से की हो वह इस योजना के तहत आवेदन कर सकता है।


प्रति छात्र छात्रवृत्ति की राशि 


क्र.स.

विषय

राशि

1

अध्येतावृत्ति

प्रारंभिक दो वर्षों हेतु 8000/-रूपये प्रति माह (जेआरएफ) 

शेष कार्यकाल हेतु 9000/- रूपये प्रति माह (एसआरएफ)

2

सामाजिक विज्ञान तथा मानविकी हेतु आकस्मिक भत्ता

प्रारंभिक दो वर्षों हेतु 10000/-रूपये प्रति वर्ष

शेष कार्यकाल हेतु 20500/- रूपये प्रति वर्ष

3

विज्ञान हेतु आकस्मिक भत्ता

प्रारंभिक दो वर्षों हेतु 12000/-रूपये प्रति वर्ष

शेष कार्यकाल हेतु 25000/- रूपये प्रति वर्ष

4

विभागीय सहायता

बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु संबंधित संस्था को प्रति छात्र 3000/- रूपये प्रति वर्ष

5

अनुरक्षक/पाठक सहायता

शारीरिक रूप से तथा नेत्रहीन विकलांग छात्रों को 1000/- रूपये प्रति वर्ष

6

आवास किराया भत्ता

यूजीसी पद्धति के अनुसार

 

राष्ट्रीय समुद्रपारीय छात्रवृत्ति योजना


यह योजना इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और विज्ञान के क्षेत्र में विदेशों में मास्टर स्तर के पाठ्यक्रम पी.एच.डी. और पोस्ट डॉक्टरेट अनुसंधान कार्यक्रम स्तर के प्रतिभाशाली अनुसूचित जनजाति छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। चुने गए छात्रों को शिक्षण और अन्य शैक्षिक शुल्क, विदेशी विश्वविद्यालय आदि द्वारा लिया जाने वाला, रखरखाव और यात्रा व्यय के साथ-साथ अन्य अनुदान आदि दिया जाता है। साथ ही मैरिट छात्रवृत्ति में स्नातकोत्तर अध्ययन, अनुसंधान या विदेशों में प्रशिक्षण (सेमिनार, कार्यशालाओं, सम्मेलनों आदि में भाग लेने को छोड़कर) हेतु विदेशी सरकार/संस्थान या उनके तहत किसी भी योजना में यात्रा लागत नहीं प्रदान की जाती हो, ऐसे अनुसूचित छात्रों के लिए यात्रा (पैसिज) अनुदान भी उपलब्ध है। ओपन स्कूल योजना को वर्ष 2007-08 में योजना स्कीम के रूप में संशोधित किया गया। 15 अवार्ड प्रति वर्ष अनुसूचित जनजाति के छात्रों हेतु स्वीकृत किए जाते हैं।


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