सोनभद्र जिले के ग्राम पंचायत मुर्तिया के उम्भा गांव में एक दबंग माफिया,अजगर मुखिया यज्ञदत्त ने 10 गोंड(आदिवासी को जिनमें तीन महिलाएं भी हैं )खुले आम गोली मारकर निर्मम हत्या कर दिया।90 बीघा जमीन पर जबरन कब्जा करने आये मुखिया के लगभग 200 गुंडों ने जमीन को ट्रेक्टर से जोतने लगे तो आदिवासियों ने विरोध किया तो,उसके बाद हवा में दूर से फायरिंग करते हुए दबंग गोलियां चलाने लगे अफरा-तफरी के बीच जान बचाने के लिए लोग चीखते हुए भागने लगे जो भागने में अक्षम घायल थे उन्हें लाठी से पीटकर भीभत्स तरीके से उनकी हत्या की गई।दिल दहलाने वाली घटना से अगल-बगल गांवों में भय और सन्नाटा पसरा है।इन दबंग हत्यारों और माफियाओं को संरक्षण और साहस कहा से मिलती है जिनके आगे कानून और अदालत लाचार हो जाती हैं और बेखौफ होकर नरसंहार जैसे भीभत्स घटना को अंजाम देते हैं।वहां के हालात ऐसे हैं कि प्रत्यक्षदर्शियों से बात करने से उनकी जबान लड़खड़ा रही है डरे और सहमे हुए हैं।देश में आदिवासियों की जान कितनी सस्ती है देखा जा सकता है।25 से ज्यादा लोग गम्भीर रूप से घायल हैं जो जिला अस्पताल (राबर्ट्सगंज)और वाराणसी ट्रामा सेंटर में भर्ती हैं।
जल,जंगल,जमीन से बेदखल आदिवासी किस आधार पर इसे अपना देश कहें?बाजार और सत्ता के गठजोड़ से आदिवासी अधिक संख्या में पलायन और विस्थापन हो चुके हैं जो जंगलों में बचे हैं उनकी स्थिति बिना जड़ के पेड़ जैसी हो गयी है।सरकार और कॉरपोरेट के दोहरी हिंसा की मार झेल रहा है।नदियों,जंगलों और पहाड़ों से उनकी पहचान को समाप्त करने साथ उनकी हत्या आम बात हो गयी है कभी नक्सली के नाम पर,कभी फर्जी एनकाउंटर के नाम पर ।आदिवासियों की जान की मोल कितनी सस्ती है इसका असर मीडिया और आंदोलनों की सक्रियता में भी दिखती है।
उम्भा गांव मेरे गांव 6-7 किलोमीटर की दूरी पर है यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं।बहुत कम लोगों के पास जमीन है जिनके पास एक-दो बीघा है भी तो ज्यादातर लोगों को बंजर क्षेत्र दे दिए गए हैं।लेकिन अभी भी बड़ी जाति के दबंगों के पास ज्यादातर जमीनों पर कब्जा है। शासन और सत्ता सांठ-गांठ से खुले आम मनमानी भी करते हैं।आदिवासियों के जमीन पर जमींदारों का अभी जबरन कब्जा है।इसको हम जुलाई-अगस्त के महीनों वहां के कोर्ट-कचहरियों में देख सकते हैं।आदिवासियों के सदियों से चली आ रही जमीन की समस्याओं पर इसी समाज के सांसद से जिला प्रशासन मूकदर्शक बनकर दबंग जमींदारों के आगे नतमस्तक रहा है।
जिन आदिवासियों की हत्या हुई है उनमें तीन महिलाओं के साथ कुछ शादीशुदा नौजवान हैं जिनके बच्चे भी हैं जो डरे हुये हैं उनके भविष्य का क्या होगा?योगी सरकार की तरफ से पांच लाख कीऔपचारिकता पूरी हो गयी है।घटना के दूसरे दिन एसडीएम पहुँचते हैं।जिलाधिकारी अभी भी घटनास्थल पर नहीं पहुँचे हैं।आदिवासियों के नरसंहार से क्या सोनभद्र के जमीनी विवाद को जमींदार माफियाओं के कब्जे से छुटकारा के लिए सरकार कोई ठोस कार्रवाई करेगी?क्योंकि बड़े पैमाने पर अदिवादियों को मिले पट्टे के जमीन पर दबंगों का कब्जा है।
- जिलाधिकारी समेत जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों पर ठोस त्वरित कार्रवाई हो।
-हत्यारा मुखिया यज्ञदत्त समेत उनके गुर्गों पर कठोर सजा हो।
-प्रत्येक आदिवासी मृतक परिवारों को सरकारी नौकरी सुनिश्चित हो।
-आदिवासीयों के जमीनों से जमींदार माफियाओं का जबरन कब्जा हटाया जाय।
-भूमि सुधार कानून लागू हो।
उत्तरप्रदेश के सोनभद्र जिले में आदिवासियों पर फायरिंग कर उनकी हत्या की गई।।
Reviewed by दुनिया मनोवैज्ञानिक
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18:05
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