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कोल राजाओं का सामाज्य कोलगढ़ी व त्योंथर क्षेत्र रीवा

त्योंथर कोलगढ़ी कोल राजाओं का सामाज्य था कभी कोलगढ़ी व त्योंथर के अन्य क्षेत्रों में कभी हुआ करता था कोल राजाओं का राज्य।।
त्योंथर में था आदिवासियों का राज, कोलगढ़ी से चलता रहा प्रशासन
बघेल राजाओं से पहले था आदिवासी एवं वेलवंशी राजाओं का शासन
त्योंथर क्षेत्र प्राचीन समय से ही राजवंशीय राजनीति का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। महाभारत काल के भूरिश्रवा की विजायंठ की कथा से लेकर आदिवासी राजा एवं बेनवंशी राजाओं की कहानी त्योंथर की कोलगढ़ी से जुड़ी है। किन्तु बहुत कम लोग ही यह जानते हैं कि इस कोलगढ़ी से कभी भुर्तिया राजाओं ने भी अपना शासन चलाया था। यहां भुर्तिया राजाओ ने शासन किया और उनका प्रशासन कोलगढ़ी से ही चलता था।
त्योंथर गंगा यमुना के संगम की भांति ही तमसा नदी एवं खरारी नदी के संगम पर स्थित होने के साथ ही विन्ध्य पर्वत की तलहटी में होने के कारण ही यह राजधानी की सुरक्षित जगह समझी जाती थी। स्थानीय शासकों के लिए यह स्थान उपयुक्त था। त्योंथर का इलाका बघेल राजाओं के पूर्व आदिवासी राजाओं द्वारा शासित था। इतिहासकार रामसागर शस्त्री की क्योटी की गढ़ी पुस्तक के अनुसार रीवा के महराजा वीर सिंह ने 16वीं शताब्दी के आरम्भ में उत्तर की ओर राज्य विस्तार किया और अरैल झूंसी तक का इलाका वेणुवंशीय एवं छोटे राजाओं से जीतकर अपने अधिकार में कर लिया।
भुर्तियों ने भी किया शासन
त्योंथर कोलवंशीय राजाओं का राज्य था बाद में भुर्तिया वंश के राजाओं ने अधिकार कर लिया। त्योंथर के उत्तर एवं झूंसी के दक्षिण के फैले हुए भू भाग पर बहुत से छोटे छोटे राज्य थे। जिसमें कीं कोलों का राज्य था कहीं भुर्तियों का। झूंसी के वेनवंशीय शासकों ने छोटे छोटे कोल एवं भुर्तिया राजाओं को पराजित कर अपना अधिकार कर लियाऔर त्योंथर को अपनी गढी बनाकर राज्य करने लगा।
गनपत शाह ने बनवाई थी गढ़ी
त्योंथर की गढ़ी वेनवंशी राजा गनपत शाह की बनवायी कही जाती है। जनश्रुति के अनुसार इस गढ़ी पर वेनुवंशीय राजा के पूर्व भुर्तिया राजा का अधिकार था। वंनुवंशीय राजा से पराजित हो जाने पर भुर्तिया राजा त्योंथर से निकाल दिया गया । कहा जाता है कि त्योंथर में भुर्तिया समाज के लोग आज भी पानी पीना पसन्द नही करते। उनका मानना है कि जहाँ कभी वे राजा रहे हों और वहां से अपमानित होकर उन्हें निकाल दिया गया हो तो वहां वे पानी क्यों पियें।
त्योंथर में नहीं पीते पानी
इस संदर्भ में ग्राम चंदई के निवासी एवं जिला रीवा आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी पद से अवकाश प्राप्त डॉ. बीएल भुर्तिया ने बताया कि यह सच है कि उनके वंश से जुड़े लोग जब कभी त्योंथर जाते थे तो नदी पार करके चिल्ला में जाकर पानी पीते थे। चंदई ग्राम के भुर्तिया परिवार के पास पहले हजारों की संख्या में गाय थी। भुर्तिया परिवार की तत्कालीन सम्पन्नता एवं समाजिकता यह बताती है कि निश्चित रूप से इनका राज्य कभी त्योंथर में रहा है।
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